गौ सरंक्षण हेतु प्रत्येक जिले में गौअभ्यारण की स्थापना की जाय : उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग ।

देहरादून । कल दिनांक 28, अगस्त 2024 को उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग के माननीय अध्यक्ष पं० राजेन्द्र अणथ्वाल जी की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग की सामान्य कार्यकारिणी की बैठक “पशुधन भवन, मोथरोवाला- देहरादून के सभाकक्ष में आहूत की गई।

बैठक में पशुपालन विभाग के सचिव श्री बी०बी०आर०सी० पुरुषोत्तम तथा अपर सचिव रवनीत चीमा, कृषि विभाग के उप सचिव श्री सुधीर कुमार चौधरी एवं पुलिस मुख्यालय से श्री विवेक सिंह कुटियाल उप पुलिस अधीक्षक, पशुपालन विभाग के निदेशक डा० नीरज सिंघल, पंतनगर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा०आर०के० शर्मा, पंचायतीराज विभाग के संयुक्त निदेशक श्री एम०एस०राणा, शहरी विकास से उपनिदेशक डा०नीलू चावला, यू०एल०डी०बी० के सी०ई०ओ० डा०राकेश नेगी, शीप बोर्ड के सी०ई०ओ०-डा०आर०एस०नितवाल तथा पशुकल्याण बोर्ड के संयुक्त निदेशक डा० अशोक कुमार, उपनिदशक-डा०उर्वशी, पशुचिकित्सा अधिकारी डा०अर्षिदा, गो सेवा आयोग के प्रभारी अधिकारी डा०डी०सी० सेमवाल द्वारा प्रतिभाग किया गया।

उक्त बैठक में आयोग के माननीय सदस्य सुश्री कामिनी कश्यप, श्री शंकर दत्त पाण्डेय, श्री धर्मवीर सिंह गुसांई, श्री शीतल प्रसाद, श्री सतीश उपाध्याय, श्री विजय बाजपेई, श्री राजेन्द्र सिंह नेगी, श्री अनिल सिंह नेगी एवं मा०सदस्य श्री रामेश्वर दास जी के प्रतिनिधि श्री कमलेश भट्ट एवं स्वामी श्री ईश्वरदास जी के प्रतिनिधि- श्री पवन दास जी भी उपस्थित रहे।

उक्त बैठक में “गोवंश के सरंक्षण” एवं लम्बे समय से पशुचिकित्सा क्षेत्र से जुड़े होने के कारण पशुपालन विभाग के पूर्व निदेशक डा० प्रेम कुमार एवं श्री अश्वनी शर्मा, उपाध्यक्ष जिला पशुक्रूरता निवारण समिति, हरिद्वार द्वारा भी मा० अध्यक्ष जी के आग्रह पर बैठक में प्रतिभाग किया गया।

उक्त बैठक में निम्नलिखित निर्णय एवं प्रस्ताव पारित किए गये :-

1- सचिव, पशुपालन द्वारा बैठक में स्पष्ट किया गया कि अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत निराश्रित गोवंश को शरण दिलाने, उनके लिए गौलाओं / गौसदनों का निर्माण व उनका संचालन सुनिश्चित करने का दायित्व “शहरी क्षेत्रों में शहरी विकास विभाग का” तथा “ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतीराज विभाग का” है। पशुपालन विभाग का दायित्व गौवंश की चिकित्सा, उपचार एवं अन्य विभागीय सुविधायें प्रदान करना है।

2- शहरी विकास विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि विभाग के अन्तर्गत विभिन्न नगर निकायों में 3 सड़कों पर विचरण कर रहे निराश्रित गौवंश को शरण दिलाने हेतु 30 नई गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से 28 का कार्य प्रारम्भ हो चुका है तथा शेष 02 स्थानों पर भूमि बह जाने/अन्य कारणों से गौशाला का निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं हो पाया है।

3- पंचायतीराज विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 24 नई गौशालाओं हेतू कुल 42 करोड़ रूपया स्वीकृत हो गया है, शीघ्र ही निर्माण कार्य प्रारम्भ हो जायेगा. बैठक में नये गौसदनों के निर्माण के कार्य में तेजी लाने हेतु पंचायतीराज विभाग को निर्देश दिए गये।

4- डा०राकेश नेगी द्वारा अवगत कराया गया कि पशुपालन विभाग द्वारा प्रत्येक जनपद में दो-दो पशुचिकित्सालयों को आधुनिक पशुचिकित्सालय के रूप में विकसित कर उनमें सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधायें प्रदान करने की व्यवस्थ की जा रही है।

5- सचिव, पशुपालन द्वारा “उत्तराखण्ड गो सेवा आयोग” एवं “पशुकल्याण बोर्ड” का एक सम्मिलित ढांचा बनाने एवं बोर्ड द्वारा संचालित गौ एवं गोवंश से संबंधित समस्त कार्य आयोग के माध्यम से संचालित करने के प्रस्ताव पर सभी सदस्यों एवं मा० अध्यक्ष द्वारा सहमति प्रदान करते हुए इस

आशय का प्रस्ताव शासन को स्वीकृति हेतु प्रेषित करने के निर्देश दिए गये।

6- गौ सरंक्षण हेतु प्रत्येक जिले में गौअभ्यारण की स्थापना की जाय।

7- सड़कों पर निराश्रित गोवंश की संख्या में वृद्धि को देखते हुए राज्य में प्रत्येक गोवंश का पंजीकरण / ईयर टैगिंग (फोटोग्राफ सहित) अनिवार्य रूप से कराई जाय।

8- प्रत्येक गौशाला में 01 पेड मां के नाम पर लगाकर अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाय।

9- मा०सदस्यों द्वारा संज्ञान में लाया गया कि डेरियों द्वारा दूध का प्रोडक्शन बढ़ाने हेतु गायों को जो दाना दिया जा रहा है, उससे गौवंश की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है तथा गाय के बांझ होने पर उसे सड़कों पर छोड़ दिया जा रहा है, जिस पर सम्बन्धित विभागों (स्वास्थ्य, खाद्य, पशुपालन, पुलिस/प्रशासन) की एक संयुक्त जांच टीम शासनस्तर से गठित करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

10-राज्य में निराश्रित गोवंश को आश्रय उपलब्ध कराने हेतु गौसदनों की बड़ती संख्या एवं कुछ गौसदनों में मृत्यु दर अधिक देखते हए ऐसे संचालित सभी गौसदनों एवं उनमें संचालित गतिविधियों पर आयोग का नियंत्रण होना आवश्यक है। जिस हेतु आयोग स्तर से दोनों मण्डलों में गौसदनों की समय-समय पर जांच कराने का भी प्रस्ताव पारित किया गया।

11-राज्य में प्रत्येक गोवंश का जन्म / मृत्यु का पंजीकरण अनिवार्य करने तथा गौवंश सरंक्षण अधिनियम की धारा-7 एवं धारा-8 का उल्लंघन करने पर आर्थिक दण्ड की धनराशि को रू0 2000/-00 से रू0 10,000/-00 बढ़ाने हेतु अधिनियम में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया।

12-नगर निगम / नगर पालिका परिषदों / नगर पंचायतों एवं जिला पंयायत स्तर पर सड़क किनारे घायल / बीमार पड़े गौवंश को लिफ्ट कर गौसदनों तक पहुंचाने हेतु लिफ्टिंग वैन/रोगी पशु वाहनों की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गये।

13- देशी प्रजाति की गायों/ बद्री गाय के सरंक्षण पालन को बढ़ावा देने हेतु विशेष प्रयास करने एवं योजना संचालित करने के निर्देश दिए गये।

14- जनपद ऊधमसिंहनगर के किच्छा तहसील के अन्तर्गत सिरोली में बड़ी संख्या में गौकशी होने की बात संज्ञान में लाई गई। साथ ही हरिद्वार एवं ऊधमसिंहनगर जनपद की सीमा दूसरे राज्यों से लगी होने के कारण इन जनपदों में गौहत्या / गौकशी एंव गौतस्करी होने एवं पुलिस विभाग के कर्मचारियों की उदासीनता/संलिप्तता की भी बात संज्ञान में लायी गई। जिस पर माव अध्यक्ष जी द्वारा गौवंश सरंक्षण स्क्वायड एवं स्थानीय पुलिस को इस सम्बन्ध में चौकसी बढ़ाने एवं दोषियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए गये।

15- कोटद्वार नगर निगम की गौवंश सरंक्षण के कार्यों के प्रति उदासीनता की बात संज्ञान में लाई गयी तथा सड़कों पर निराश्रित गौवंश को शरण दिए जाने हेतु गौशाला के विस्तार /नई गौशाला के निर्माण हेतु शहरी विकास विभाग को कार्यवाही करने के निर्देश दिए गये।

16-गौसदनों को छूट पर साइलेज उपलब्ध कराने हेतु सहकारिता विभाग को प्रस्ताव प्रेषित करने के निर्देश दिए गये।

17-जनपदों में संचालित गौसदनों में घायल एवं बीमार गोवंश के उपचार / नियमित स्वास्थ्य

परीक्षण हेतु प्रत्येक जनपद में संविदा पर दो-दो पशुचिकित्सा अधिकारी / स्टाफ हेतु पद सृजित करने एवं चिकित्सा सुविधाओं से युक्त मोबाईल वैन की व्यवस्था किए जाने हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित करने के निर्देश दिए गये। बैठक में उपिस्थत सभी मान० सदस्यों एवं अधिकारियों का आभार प्रकट करते हुए बैठक के समापन किया गया।

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