विधानसभा में एक दिन का विशेष सत्र बुलाये सरकार, नहीं तो होगा बहिष्कार :बीजेपी विधायक

देहरादून :  वन अधिनियम में संशोधन को लेकर लैंसडाउन से बीजेपी विधायक दिलीप रावत ने मानव-वन्यजीव संघर्ष और वन अधिनियम में संशोधन को लेकर विधानसभा में एक दिन का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. इसी के साथ बीजेपी विधायक दिलीप रावत ने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं होता है तो वह आगे किसी भी सत्र में भाग नहीं लेंगे.

बीजेपी विधायक दिलीप रावत लंबे समय से वन अधिनियम में संशोधन की मांग उठा रहे हैं. हाल ही में गैंरसैण में हुए विधानसभा सत्र में भी दिलीप रावत ने वन अधिनियम और मानव-वन्यजीव संघर्ष से हो रहे नुकसान का मुद्दा सदन के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर उठाया था. हालांकि, तब उन्हें सरकार की तरफ से इस मामले पर विचार करने का आश्वासन भी मिला था.

अब उसी आश्वासन के क्रम में बीजेपी विधायक दिलीप रावत ने सरकार से अपनी मांग को लेकर विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलान की मांग की है. विधायक दिलीप रावत का कहना है कि वन अधिनियम में जो अव्यवहारिकता है, आम जनमानस को उसकी वजह से जो दिक्कतें हो रही है, उसका समाधान निकलना चाहिए. वहीं ग्रामीणों की जरूरत के अनुसार वन अधिनियम में संशोधन होना चाहिए.

बीजेपी विधायक दिलीप रावत कहना है कि जो वन अधिनियम कभी उत्तराखंड के जनता के लिए गिफ्ट बनना चाहिए था, लेकिन वो ही नियम कायदे आज उनके विकास में सबसे बड़ा बाधक है. इसीलिए उन्होंने मांग की है कि उत्तराखंड एक दिन का विशेष सत्र रखे, ताकि उस सत्र में सारी परेशानियों पर समीक्षा हो. हमारी जरूरतों को राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी अवगत कराया जाए.

बीजेपी विधायक ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र से तमाम संस्थाओं को एक बड़ा संदेश जाए कि प्रदेश के लोगों को इस वन अधिनियम से किस तरह की दिक्कतें हैं. उत्तराखंड में आए दिन मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले किसी से छिपे नहीं है. आम जनता वन्यजीवों का शिकार हो रही है. जिसकी वजह से कई लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि सैकड़ो की संख्या लोग में घायल हुए हैं. इसीलिए बीजेपी विधायक दिलीप रावत ने वन अधिनियम में संशोधन कर लोगों को राहत देने की मांग की है.

रावत ने कहा कि उन्हें सीएम पुष्कर सिंह धामी पर पूरा विश्वास है कि वो एक दिन की विशेष सत्र रखेंगे. उन्होंने मीडिया से भी अपील की है कि इस मुद्दों को जरूर उठाया जाए, क्योंकि वन अधिनियम प्रदेश में विकास में सबसे बड़ा अवरोधक बन गया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि यदि सरकार उनकी मांग के अनुरूप एक दिन का विशेष सत्र नहीं बुलाती है तो वह आगामी किसी भी विधानसभा सत्र में वह भाग नहीं लेंगे.

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