
देहरादून, 11 जुलाई : हरियाणा और कर्नाटक की तर्ज पर उत्तराखंड में भी हर नागरिक का परिवार गई है। मुख्य सचिव ने इस प्रोजेक्ट के लिए 20 करोड़ का बजट मंजूर किया है और नियोजन विभाग कौनएक माह के अंदर इसके लिए वेंडर चयन की । प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। परिवार – पहचान पत्र आने वाले समय में सभी प्रकार के पहचानपत्रों का विकल्प बनेगा। इसके आधार पर अन्य प्रमाण पत्र हासिल करने में भी सहूलियत होगी।
वीरवार को सचिवालय में परिवार पहचान पत्र को लेकर गठित वित्त व्यय समिति (ईएफसी) की बैठक हुई। इस बैठक में मुख्य सचिव ने नियोजन विभाग से परिवार पहचान पत्र प्रोजेक्ट पर जल्द से जल्द काम शुरू करने को कहा। उन्होंने कहा कि परिवार पहचान पत्र का उद्देश्य प्रत्येक परिवार के लिए एक विशिष्ट पहचान के साथ एक व्यापक पारिवारिक डेटाबेस बनाना है। राज्य में परिवारों का सत्यापित, प्रामाणिक और विश्वसनीय डेटा तैयार करना, एपीआई आधारित तंत्र के माध्यम से ऑन-डिमांड अपुनी सरकार पोर्टल सहित राज्य में अन्य सेवा वितरण प्लेटफार्मों के साथ एकीकृत करना भी इसका मकसद है। इसका लक्ष्य परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए कैप्चर किए गए सभी डेटा बिंदुओं में सुधार करना और उसे अपडेट रखना है। सीएस ने कहा कि परिवार पहचान पत्र से विशिष्ट पहचान आवासीय पते के प्रमाण के रूप में काम करेगी। इससे जाति प्रमाण पत्र और आवासीय प्रमाण पत्र तुरंत जारी किए जा सकेंगे।
हरियाणा से शुरू हुआ था यह प्रोजेक्ट
परिवार पहचान पत्र बनाने की योजना हरियाणा सरकार ने वर्ष 2021 में शुरू की थी। हरियाणा के साथ ही कनार्टक सरकार भी इस प्रोजेक्ट को पूरा कर चुकी है। इन राज्यों में किसी भी कल्याणकारी सेवा के आवेदन के लिए नागरिक को परिवार पहचान पत्र प्रदान करना आवश्यक है। इसके अलावा, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर आदि राज्य पहले से ही अपने-अपने राज्यों में रहने वाले परिवारों की विशिष्ट पहचान करने की अवधारणा पर कार्य कर रहे हैं। वर्ष 2022 में धामी सरकार ने इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया था और इसे शीर्ष प्राथमिकता में शामिल किया था।