
देहरादून। शैल कला एवं ग्रामीण विकास समिति के तत्वावधान में विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में संस्था के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी एस. चंद्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि तापमान बढ़ने से जनमानस अत्यधिक परेशानी महसूस कर रहा है। देहरादून में आज तक इतना अधिक तापमान देखने को नहीं मिला। मुख्य कारण विकास के नाम पर अत्यधिक पेड़ों का कटान, कंक्रीट के जंगल में बदलता शहर, जनमानस द्वारा अपने-अपने घरों में वृक्ष नहीं लगाने के कारण यह समस्या उत्पन्न हो रही है। जंगलों में अग्नि का कहर ने भी अपना विकराल रुप धारण किया हुआ है, जिससे जानमाल का भी काफी नुकसान हुआ।
स्वामी ने कहा 16 जुलाई को हरेला पर्व पर लोगों द्वारा पोधे लगाने की होड़ सी लगी देखने को मिलेगी। ऐसा प्रतिवर्ष होता रहता है। परंतु जो पौधों का रोपण करते हैं हम कितना उन पौधों को देखने के लिए जाते हैं कि वह सुरक्षित हैं या नहीं। हरेला पर्व पर जनमानस पौधों को लगाते हुए फोटो खिंचवाने की होड़ में लगे रहते हैं, लेकिन उन पौधों को पुनर्जीवित रखने के लिए पालन पोषण सही रुप से नहीं करते। पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में जगह-जगह पौधारोपण किया जाता है लेकिन मेरा मानना है कि 5 जून को पर्यावरण दिवस पर भविष्य की योजना बनाने की अग्रिम कार्यवाही गोष्ठी, विचार, समस्याओं आदि पर चर्चा की जानी चाहिए। क्योंकि ग्रीष्मकाल में 5 जून को वृक्ष पौधे रोपण करने से भूमि गरम रहती है। जिससे पौधों का जीवन संकट में रहता है। इसलिए कोशिश यह होनी चाहिए पर्यावरण दिवस पर चिंतन होना चाहिए और हरेला पर्व पर होने वाले वृक्षारोपण कार्यक्रम की तैयारी की रूपरेखा बनानी चाहिए। इस अवसर पर स्वामी . एस . चंद्रा , आदित्य नैयर, महेन्द्र राना, आनंद स्वरूप, श्रीमती नीता चन्द्रा, गायत्री भण्डारी, अशोक मनराल, अंशुल घई आदि उपस्थित थे तथा पौधारोपण किया।