बद्रीनाथ । उत्तराखंड के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई 2024 को सुबह 6 बजे ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिये गये है . शीतकाल ऋतु में 6 महीने के लिए मंदिर बंद रहता है, मान्यता है इस दौरान विश्राम के लिए श्रीहरि विष्णु यहीं निवास करते हैं ।
नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में स्थित बद्रीनाथ धाम श्रद्धा व आस्था का अटूट केंद्र है. हर साल ग्रीष्मकाल में भगवान बद्रीविशाल के दर्शन के हजारों भक्त बद्रीनाथ धाम आते हैं. शास्त्रों में बद्रीनाथ धाम को धरती का वैकुंठ धाम भी कहा गया है.
कपाट खुलने के बाद ऐसे होता है अभिषेक
कपाट खोलने के कुछ दिन पहले ही गाड़ू घड़ा यात्रा के लिए प्रक्रिया निभाई जाती है. इसमें नरेंद्र नगर राजमहल में महारानी राज्य लक्ष्मी शाह सुहागिन महिलाओं के साथ व्रत रखकर,मूसल-ओखली और सिलबट्टे से तिल का तेल पिरोती हैं. इस तेल को जिस घड़े में रखा जाता है उसे गाड़ू कहते हैं. गाड़ू घड़ा श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में रखते हैं और फिर धाम के कपाट खुलने के समय बद्री विशाल की प्रतिमा का इसी तिले से अभिषेक किया जाता है ।
भव्य रूप से सजाया गया है मंदिर ।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व मंदिर को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया।
बद्रीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखण्ड के चारों धाम के कपाट अब खुल गये है ग़ौरतलब हो कि बीते 10 मई को ही केदारनाथ , गंगोत्री , यमनोत्री धाम के कपाट भी शुभ मुहूर्त में पूर्ण विधि – विधान के साथ खोल दिये गये थे ।