राष्ट्र की प्रगति के लिए संस्कृति और परंपरा का सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण : प्रो सोमदेव शतांशु

देहरादून । आयुष नेगी । डीएवी कॉलेज, देहरादून में भारतीय ज्ञान प्रणाली और इसके भविष्य की संभावनाओं पर दो दिवसीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के दूसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति प्रोफेसर सोमदेव शतांशु उपस्थित रहे।

अपने प्रेरणादायक संबोधन में प्रोफेसर शतांशु ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए उसकी राष्ट्रीय भाषा, संस्कृति और परंपरा का सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय ज्ञान-विज्ञान की यह परंपरा 1,97,08,56,125 वर्ष पुरानी है, जो कि हमारे समृद्ध इतिहास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाती है।

प्रोफेसर शतांशु ने जोर देकर कहा कि संस्कृत एक पूर्ण रूप से वैज्ञानिक भाषा है और आधुनिक विज्ञान की नींव वेदों में निहित है। उन्होंने इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि दुनिया भर के कई शोध संस्थान इस बात को मान्यता दे चुके हैं।

उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों से अपील की कि वे भारतीय ज्ञान की इस महान परंपरा को समझें और इसे आज के युवा वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास करें। संगोष्ठी में भारतीय ज्ञान प्रणाली के विविध पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया।

 

 

 

यह संगोष्ठी न केवल शैक्षिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी सफल रही। प्रोफेसर शान्तनु के विचारों ने सभी उपस्थित लोगों को गहराई से प्रभावित किया और भारतीय ज्ञान प्रणाली के महत्व को और भी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में डीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर के आर जैन, डॉ डीके त्यागी,  डॉ वी के पंकज, प्रो रंधावा,  प्रोफेसर चौरसिया प्रोफेसर राम विनय, डॉ वीके दीक्षित प्रोफेसर प्रशांत सिंह, प्रोफेसर पंत एसजीआरआर कॉलेज,एसजीआरआर कॉलेज के प्राचार्य मेजर दिलीप, रमाकांत श्रीवास्तव, प्रोफेसर देवन शर्मा, डॉ प्रदीप कोठियाल, डॉ विमलेश डिमरी , डॉ अनूप मिश्रा, डॉ शैली, डॉक्टर नैना,शोधार्थी छात्र बड़ी संख्या में मौजूद रहें ।

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