प्रज्ञा प्रवाह की उत्तराखंड इकाई देव भूमि विचार मंच द्वारा डेमोग्राफिक मे परिवर्तन वर्तमान और भविष्य पर संगोष्ठी का आयोजन 5 सितंबर को दून विश्वविद्यालय में किया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में पद्मश्री जतिंदर कुमार बजाज तथा विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रोफेसर डॉक्टर देवेंद्र भसीन विशिष्ट उपस्थित श्रीमान भगवती प्रसाद राघव जी की रही कार्यक्रम की अध्यक्षता दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल द्वारा की गई उत्तराखंड में आयोजित इस महत्वपूर्ण एक दिवसीय मुख्य वक्ता के रूप में उद्बोधित करते हुए डॉ बजाज ने कहा कि जनसंख्या बदलाव को ऐतिहासिक दृष्टि से यदि हम देखें तो इसकी शुरुआत मुस्लिम काल से प्रभावी तरीके से हुई जो लगातार बढ़ता गया, और इसके और इसके प्रभाव भी सामने आने लगे ब्रिटिश शासन काल में यह और तेज हुआ विभाजन के बाद तेजी से बदलती रही, और बढ़ती रही ।
सीमावर्ती क्षेत्रों में इस प्रकार का बदलाव सामरिक एवं सुरक्षा की दृष्टि से एक गंभीर चुनौती सिद्ध हो सकती है l उत्तर पूर्व के क्षेत्रों में चिंताजनक है पूर्णतः वे अल्पसंख्यक हो चुकी है, बिहार, बंगाल और बांग्लादेश सीमा का त्रिकोण जिसको चिकन नेक कहा जाता है वहां डेमोग्राफी तेजी से परिवर्तित हो रही है । पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी तेजी से बदलाव हुआ है यह भी देखने की बात हो रही है कि क्या यह लोग वही से आ रहे है, या और कही से,जो सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी कई गंभीर प्रश्न उत्पन्न करता है । इसका नियंत्रण सरकार के लिए सरकार को प्रभावी कदम उठाने होंगे क्योंकि ऐसे बदलावों से कोस्टल एरिया भी अछूता नहीं है l विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर डॉ देवेंद्र भसीन ने अपने उद्बोधन में उत्तराखंड में हो रहे इस तरह के परिवर्तन पर चिंता व्यक्ति और इस पर एक मजबूत कार्य करने की अपेक्षा की साथ ही साथ प्रज्ञा प्रवाह की उत्तराखंड इकाई देवभूमि विचार मंच के गंगा शोध केंद्र के इस दिशा में किया जा रहे कार्यों की भी प्रशंसा की अध्यक्ष उद्बोधन में प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल जी ने विषय के मूल कारणों पर चर्चा करते हुए कहा कि समाज को सतर्क होने की आवश्यकता है तथा बाहर से आ रहे लोगों को नीति के तरीके से उनकी उनके रिकॉर्ड को संभालने की भी जरूरत है कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉक्टर रीना चंद्रा द्वारा किया गया प्रज्ञा प्रवाह के विषय में डॉ अंजली वर्मा द्वारा विस्तार से बताया गया कार्यशाला के विषय को मुख्य रूप से डॉक्टर विकास सारस्वत द्वारा रखा गया कार्यक्रम संयोजक के रूप में प्रोफेसर रीना चंद्र, प्रोफेसर पुरोहित, प्रोफेसर डॉ भट्ट,डॉ सुनैना, डॉक्टर आशा, श्री पृथ्वी घर काला, डॉ मिश्रा डॉ विमलेश डिमरी तथा श्री विशाल जी उपस्थित सहित अन्य भारी संख्या में विद्वानो ने भागीदारी की साथ ही साथ ही बड़ी संख्या में शोधार्थी भी उपस्थित है
पलायन आयोग के सदस्य श्री सुरेश सुयाल जी ने भी अपने विचार रखें, कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ रवि शरण दीक्षित ने कहा कि आज के जो निष्कर्ष इस एक दिवसीय कार्यशाला में हमारे सामने आए हैं निश्चित ही समाज को और सरकार को एक विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की जाएगी, और वृहद तरीके से विषय पर कार्य करा जा सके