![](http://www.aapkiawaaz.in/wp-content/uploads/2023/09/WhatsApp-Image-2023-09-02-at-07.51.46.jpeg)
16 मई 2024 । उत्तराखण्ड के जंगलों में लगी आग को काबू करने में राज्य सरकार के लचर रवैये पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को 17 मई को तलब किया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को अदालत में पेश होकर फंड के उपयोग और वन विभाग की रिक्तियों जोड़ा आदि पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि वन विभाग के वाहन और स्टाफ का चुनाव ड्यूटी या अन्य किसी उद्देश्य में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। चारधाम यात्रा में भी उनका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि जंगल की आग को में काबू करने में राज्य सरकार का रवैया बहुत ही ढीला रहा। कार्ययोजना – तैयार की गई, लेकिन उसे लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।
कोर्ट ने स्थिति को खेदजनक बताते हुए कहा कि राज्य सरकार बस कोई न कोई बहाना ढूंढ रही है , ये आदेश और टिप्पणियां न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग का मुद्दा उठाने वाली अर्जी पर सुनवाई के दौरान बुधवार को की। कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से फंड और मानव संसाधन की कमी र पर केंद्र सरकार की ओर से पेश च एडीशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या अ भाटी से पूछा कि केंद्र सरकार ने क कितना फंड जारी किया था। भाटी ने क बताया कि केंद्र सरकार ने कंपन्सेटरी पु एफोरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड क्र प्लानिंग अथारिटी (कैंपा) से 2022- स 2023 के लिए 9.12 करोड़ रुपये क की मंजूरी दी थी। इस वर्ष के लिए हो भी 10 करोड़ का फंड मंजूर किया मि गया है। कोर्ट ने कहा कि जब केंद्रीय श्र अथारिटी ने मंजूरी दे दी थी और वे फंड राज्य सरकार के पास उपलब्ध क था, तो फिर क्या कारण है कि राज्यप सरकार ने 9.12 करोड़ में से सिर्फ क 3.41 करोड़ का ही वन कार्यों के लिए उपयोग किया। बाकी के फंड का वन कार्यों में उपयोग क्यों नहीं किया गया।