
देहरादून । जौनसार बावर क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीणों को लगभग ढाई-तीन वर्षों माफी पेड़ की लकड़ी न मिलने से यहाँ के जनजातीय समाज के लोगों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। चकराता वन प्रभाग के अंतर्गत जौनसार बावर क्षेत्र के ग्रामीणों को पन्नालाल सेटलमेंट व्यवस्था के तहत जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के स्थानीय लोगों के हक हकूक के में प्रतिवर्ष मिलने वाली माफी पेड़ों का छपान कार्य न होने का मामला उत्तराखण्ड के वन मंत्री के उनियाल सुबोध उनियाल के पास पहुंच गया। चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने प्रीतम ने वन मंत्री से मुलाकात कर जौनसार बावर क्षेत्र के ग्रामीणों के हितों से जुड़ी समस्या से अवगत कराया। बीते गुरुवार को चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने वन मंत्री सुबोध उनियाल के सामने चकराता वन प्रभाग के अधिकारी लोगों के हक-हकूक से जुड़े मामले में आनाकानी कर रहे है। माफी पेड़ की लकडी की छपान को ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव भेजे जाने पर वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। विधायक प्रीतम सिंह ने कहा है कि जनजातीय लोगों के हक हकूक एवं परंपरागत माफी की पेड़ की लकड़ी मिलने वाली छूट व्यवस्था के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव एवं छेड़छाड़ करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि चकराता वन प्रभाग के डीएफओ द्वारा वर्ष 2022-23 और वर्ष 2023-24 की में मिलने वाली पेड़ माफी की लकड़ी पर विभाग के उच्च अधिकारी कोई कर्रवाई नहीं कर रहे है। वन विभाग के अधिकारियों की मनमानी के चलते जनजातीय क्षेत्र स्थानीय निवासियों के हक हकूक एवं अधिकार प्रभावित हो रहे है। जंगलों की सुरक्षा में पहाड़ में बसे स्थानीय ग्रामीणों के पूर्वजों का हमेशा से ही योगदान रहा है। देश की सर्वोच्च अदालत ने भी जनजाति लोगों के हक-हकूक परंपरा को बरकरार रखा है। ढाई-तीन वर्षों से माफी पेड़ की लकडी न मिलने से यहाँ के पिछडी हुई गरीब जनजातीय क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीण लोगों को घर-मकान, गौशाला बनाने में बड़ी समस्या आ रही है। चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने वन विकास निगम को कटान चिराग के लिए जंगलों में लाट आवंटित करने के लिए माफी पेड़ों का छपान करने पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने विधायक की मांग पर गंभीरता से विचार कर वन विभाग को त्वरित करवाई करने के निर्देश जारी किए ।