देहरादून | उत्तरकाशी के दुर्गम सहस्रताल ट्रैकिंग रूट पर बर्फीले तूफान में फंसे 22 पर्वतारोहियों (ट्रैकरों) में से नौ की मौत हो गई। शेष 13 को एसडीआरएफ ने बुधवार को रेस्क्यू कर सुरक्षित बचा लिया। इनमें से आठ को बेहतर इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से देहरादून लाया गया। मृतकों में चार महिलाओं समेत पांच के शव उत्तरकाशी के भटवाड़ी लाए जा चुके हैं। मौसम खराब होने के चलते बुधवार शाम रेस्क्यू रोकना पड़ा और बाकी शव नहीं निकाले जा सके।
ट्रैकिंग कंपनी के संचालक व स्थानीय निवासी विष्णु सेमवाल ने बताया कि मंगलवार को मौसम ठीक होने पर पोर्टर और गाइड नौ ट्रैकर को लेकर बेस कैंप आ गए, जबकि गंभीर बीमार होने से सात चलने में असमर्थ थे। बेस कैंप से सूचना प्रशासन को दी गई। मंगलवार को उत्तरकाशी से रेस्क्यू टीम मौके को रवाना हुई। बुधवार को एसडीआरएफ ने दून से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने के बाद 13 ट्रैकरों को सुरक्षित निकाला। पांच शव भी भटवाड़ी लाए गए।
एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया कि बेंगलुरू के 21 व महाराष्ट्र का एक पर्यटक 29 मई को उत्तरकाशी से सहस्रताल ट्रैकिंग के लिए निकले। 40 किलोमीटर के पैदल रूट पर यह दल भटवाड़ी से मल्ला होते हुए सिल्ला तक वाहन से पहुंचा। इसके बाद छह किलोमीटर पैदल दूरी तय कर 30 मई की रात पिलंग पहुंचे। अगले दिन नौ किलोमीटर पैदल ट्रैक करते हुए कुशकल्याणी बुग्याल और एक जून को 10 किलोमीटर की ट्रैकिंग कर धर्मशाला पहुंचे। दो जून को यह 22 सदस्यीय दल, तीन गाइड और छह पोर्टरों के साथ आठ किलोमीटर की ट्रैकिंग कर सहस्रताल के बेस कैंष पनियाला पहुंचे और यहीं रुके। सोमवार -। सुबह दल में शामिल 20 सदस्य, गाइड म और पोर्टर के साथ सात किलोमीटर में ट्रैक कर सहस्रतांल पहुंचे, जबकि दो ट्रैकर बेस कैंप में ही रुक गए। मिश्रा ने बताया कि सात पोर्टर और गाइड बेस कैंप में पूरी तरह सुरक्षित हैं ।
ट्रैकिंग दल में शामिल बेंगलुरू निवासी अनिल जमतीगे भट्टा ने बताया कि हमने तय किया था कि सोमवार को ही हम बेस कैंप लौट आएंगे। इसलिए बहुत ज्यादा सामान साथ लेकर आगे नहीं गए। सहस्रताल से वापसी के वक्त दो किलोमीटर की दूरी ही तय की थी कि दोपहर दो-तीन बजे के बीच मौसम अचानक बिगड़ गया। घना कोहरा लग गया। कुछ नजर नहीं आ रहा था। इस बीच तेज बर्फीला तूफान चलने लगा। हम सब इधर-उधर गिरने लगे। पोर्टर और गाइड हमें एक बड़े पत्थर की ओट में लाने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन कई साथियों को लाने में कामयाब नहीं हो पाए। अत्यधिक ठंड से कई साथियों की तबीयत बिगड़ने लगी। कपड़े और बचाव उपकरण भी कम पड़ गए। संचार उपकरणों ने काम बंद कर दिया। रातभर ठंड में कई साथियों की तबीयत बहुत बिगड़ गई। इनमें चार ट्रैकरों की मौत रात में ही हो गई थी ।