हरिद्वार और ऋषिकेश में चारधाम यात्रा के लिए ऑफलाइन पंजीकरण केंद्र खोले जाएंगे

देहरादून। पर्यटन विभाग की पहल पर आगामी चार धाम यात्रा के सफल संचालन और धामों में बुनियादी सुविधाओं को लेकर रविवार को बैठक आयोजित की गई। पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड तीर्थ पुरोहित महापंचायत के साथ हुई बैठक में कई बिंदुओं पर चर्चा की गई। इसमें चार धाम यात्रा को लेकर महा पंचायत से जुडे तीर्थ पुरोहितों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। यात्राओं की संख्या सीमित करने , चारों धाम में टोकन व्यवस्था के अलावा बुनियादी सुविधाओं पर महा पंचायत ने सुझाव दिए। बदरीनाथ और केदारनाथ में मास्टर प्लान से हो रही असुविधा का मुद्दा भी चर्चा में रहा।

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के सभागार में आयोजित बैठक में तीर्थ पुरोहितों और हक हकूक धारियों ने चारों धामों में यात्रियों की संख्या सीमित किए जाने से संबंधित विषय रखा । इस पर पर्यटन सचिव ने स्पष्ट किया कि चारों धामों में यात्रियों की संख्या सीमित नहीं की गई है, केवल मानक तय किए गए हैं । जो संख्या तय की गई है, उसमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के अतिरिक्त ऑफलाइन यात्रियों की संख्या अलग से रहेगी। इसके अलावा स्थानीय लोगों को पंजीकरण की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। इस यात्रा काल से धामों में टोकन व्यवस्था शुरू की जा रही है। इस संदर्भ में तीर्थ पुरोहितों ने इस व्यवस्था पर अपने सुझाव दिए। चारों धाम में बुनियादी सुविधाओं को लेकर सचिव ने महा पंचायत को आश्वस्त किया कि समय रहते सारी व्यवस्थाएं दुरस्त कर दी जाएंगी। गंगोत्री मे आर्च ब्रिज और यमुनोत्री धाम में घाटों के निर्माण के साथ ही फूल चट्टी से वैकल्पिक मार्ग निर्माण की मांग की गई। बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने बताया कि कुबेर गली के अलावा कई व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के सामने मलबा रखा गया है, जिससे आवागमन में दिक्कतें हो रही हैं। पर्यटन सचिव ने कहा यात्रा शुरू होने से पहले ही सभी चीजें ठीक कर दी जाएगी।

बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत किए जा रहे कार्यों से तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों को हो रही दिक्कतों का मामला भी बैठक में रखा गया। बदरीनाथ और केदारनाथ में मास्टर प्लान के तहत विभिन्न कार्यों किए जा रहे हैं, जिससे मुख्य मार्गों के अलावा अन्य संपर्क मार्ग भी क्षतिग्रस्त हैं । मांग की गई यात्रा प्रारंभ होने से पहले सभी मार्ग व्यवस्थित हो जाए । इसके अलावा बुनियादी सुविधाएं समय से पूर्व जुटा ली जाए। तीर्थ पुरोहितों के हित सुरक्षित रहने की बात कही।

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