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शिवम डोभाल । “भारतीय ज्ञान प्रणाली और इसके भविष्य की संभावनाओं” पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन डीएवी (पीजी) कॉलेज, देहरादून द्वारा 24 एवं 25 मई को डीएवी (पीजी) कॉलेज के सभागार में आयोजित किया जा रहा है जिसमें देश के कई नामी वक्ता भाग लेंगे और विषय पर महत्वपूर्ण विचार रखेंगे ।
भारतीय सभ्यता लाखों वर्ष पुरानी है, भारतीय समाज शताब्दियों से संचित ज्ञान का खजाना है और कला, साहित्य, परंपराओं, रीति-रिवाजों, भाषाओं, वास्तुकला, दर्शन आदि के रूप में परिलक्षित होता है। इसकी ज्ञान प्रणाली शुरुआत से ही व्यवस्थित और अखंड रही है। शताब्दियों से विकसित प्राचीन प्रथाएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होती रहीं। भारतीय सभ्यता 5000 से अधिक वर्षों के इतिहास के साथ अखंड जीवित मौखिक परंपरा है जहां साहित्य में रचना का अर्थ पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से रचित और प्रसारित किए गए कार्य शामिल हैं। यही भारतीय तरीका और “वसुधैव कुटुंबकम” के माध्यम से सभी के कल्याण की वकालत करता है। पुरातन और शाश्वत ज्ञान और दर्शन की हमारी समृद्ध विरासत युगों-युगों से हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती रही है और साथ ही “विश्वगुरु” के रूप में दुनिया को रोशन करती रही है। भारतीय ज्ञान प्रणाली में हमारे अनुभव, अवलोकन, प्रयोग और कठोर विश्लेषण से विकसित ज्ञान, विज्ञान और जीवन दर्शन शामिल हैं। सत्यापन और फिर चीजों को व्यवहार में लाने की इस परंपरा का प्रभाव हमारी शिक्षा, कला, प्रशासन, कानून, न्याय, स्वास्थ्य, विनिर्माण और वाणिज्य पर पड़ता है। इसका पाठ्य, मौखिक और कलात्मक परंपराओं के माध्यम से प्रसारित भारत की शास्त्रीय और अन्य भाषाओं पर प्रभाव पड़ता है। भारतीय ज्ञान प्रणाली समावेशी रही है और दुनिया को काम करने का ‘भारतीय तरीका’ दिखा रही है।
हालाँकि, सूचनाओं के अंतर-पीढ़ीगत हस्तांतरण की यह प्रक्रिया पिछले लगभग एक हजार वर्षों में अचानक समाप्त हो गई। “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर विशेष जोर देती है और शिक्षा के सभी स्तरों पर पाठ्यक्रम में भारतीय शिक्षा नीति को एकीकृत करके भारतीय ज्ञान प्रणाली के प्रवाह में इस असंतुलन को दूर करने का प्रयास करती है।
दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य सबसे पहले हमारी ज्ञान प्रणाली की निरंतर महानता के बारे में सभी हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करना, समकालीन शिक्षा प्रणाली के साथ इसे एकीकृत करने के लिए संभावित नवाचार और 21 वीं सदी में मानवता के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान प्रदान करना है ।
सम्मेलन के प्रमुख विषय इस प्रकार सूचीबद्ध हैं –
1. चेतना अध्ययन – धर्मशास्त्र
2. स्वास्थ्य और कल्याण
3. गणित में पारंपरिक ज्ञान
4. पारंपरिक चिकित्सा, योग और वेदों में
5. कला, संस्कृति और परंपरा का संरक्षण
6. प्राचीन संरचनाएँ और डिज़ाइन
7. खगोल विज्ञान
8. शासन एवं लोक प्रशासन
9. दार्शनिक परंपराएँ-दर्शन शास्त्र
10. भाषा विज्ञान
11. म्यूजिक सिस्टम
12. वैदिक एवं अवैदिक विज्ञान
13. इतिहास और पुराण
14. न्याय संहिता
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेकर अपने ज्ञान में वृद्धि और पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली को बेहतर समझने में सहयोग मिलेगा , और अधिक जानकारी हेतु आप आयोजक समिति से संपर्क कर सकते है ।
पूछताछ और पत्राचार
डॉ रविशरण दीक्षित
आयोजन सचिव
इतिहास विभाग डी.ए.वी.पी.जी. कॉलेज, देहरादून-248001
संपर्क नंबर: +91-9837318301, 9412964514
Iksdav24@gmail.com