उत्तराखण्ड के साहित्यकारों को सीएम धामी ने किया सम्मानित, गणेश ‘गणी भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार

देहरादून। उत्तराखण्ड के साहित्यकारों के सम्मान में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की ओर से सम्मान समारोह का आयोजन किया गया गया। सम्मान समारोह में प्रदेश के 10 साहित्यकारों को उत्तराखण्ड गौरव सम्मान से नवाजा गया। सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इन साहित्यकारों को सम्मानित किया।

इन साहित्यकारों को किया गया सम्मानित

मुख्यमंत्री ने प्रो. लक्ष्मण सिंह बटरोही को सुमित्रानन्दन पन्त पुरस्कार, देवकीनंदन भट्ट मयंक को गुमानी पन्त पुरस्कार, गिरीश सुंदरियाल को भजन सिंह ’सिंह’ पुरस्कार, सुरेश मंमगाई को गोविन्द चातक पुरस्कार, प्रेम कुमार साहिल को अध्यापक पूर्ण सिंह पुरस्कार, के0ए0 खान उर्फ नदीम बरनी को प्रो0 उनवान चिश्ती पुरस्कार, प्रो.शैलेय को महादेवी वर्मा पुरस्कार, डॉ० सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी पुरस्कार, डॉ० ललित मोहन पंत को डॉ0 पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार तथा गणेश खुगशाल ‘गणी’ को भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार से सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान पाने वाले साहित्यकारों में वे साहित्यकार भी शामिल हैं जो अनेक विशिष्ट बोलियों में रचना कर्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो समाज अपनी भाषा और बोलियों का सम्मान नहीं करता वह अपनी प्रतिष्ठा गवां देता है। उन्होंने आम लोगों का आह्वान किया कि अपनी भाषा एवम् बोलियों को बचाने और उन्हें बढ़ाने के कार्य में आम लोगों की व्यापक सहभागिता बहुत जरूरी है तथा इस महत्वपूर्ण कार्य को हम सभी को अपने घर से आरम्भ करना होगा तथा विशेष रूप से बच्चों के साथ संवाद करते समय अपनी मातृ भाषा और आम बोलियों का प्रयोग करना होगा।

उत्तराखण्ड साहित्य गौरव समान समारोह को भाषा मंत्री एवं कार्यकारी अध्यक्ष श्री सुबोध उनियाल ने सभी सम्मानित साहित्यकारों को हार्दिक बधाई व शुभकामना देते हुये कहा कि हमारे लिये यह गौरव के क्षण हैं तथा किसी भी समाज में साहित्य व कला का महत्वपूर्ण स्थान होता है।

कार्यक्रम को विधायक श्री खजान दास, निदेशक उत्तराखण्ड भाषा संस्थान सुश्री स्वाति एस0 भदौरिया, डॉ0 सुधा पाण्डे ने भी भाषा संस्थान द्वारा उठाये गये कदमों के सम्बन्ध में विस्तार से प्रकाश डाला।

इस मौके पर मुख्यमंत्री व अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने संस्थान की पत्रिका तथा कुमाऊंनी भाषा साहित की पराण नामक पुस्तिका का विमोचन भी किया। मंच का सफल संचालन हेमन्त बिष्ट ने किया।

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