प्रतीकात्मक विधानसभा को लेकर इण्डिया गठबंधन ने की अहम बैठक, राज्य के हालातों पर की चर्चा

देहरादून। रविवार को इंडिया एलाइंस और सिविल सोसाइटी के नेताओं की अहम बैठक कांग्रेस भवन में आयोजित हुई। बैठक में गैरसैंण में 27 तारीख को आयोजित होने वाले प्रतीकात्मक विधानसभा सत्र के संचालन पर चर्चा हुई। बैठक में सभी ने राज्य के हालतों पर चर्चा की और जन भावना की लगातार सरकारी उपेक्षा पर चिंता जाहिर की। बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी सीपीएम के प्रदेश सचिव राजेंद्र सिंह नेगी सीपीआई के समर भंडारी, सीपीआईएमएल के इंद्रेश मैखुरी इंडिया एलाइंस और सिविल सोसाइटी के कोऑर्डिनेटर शीशपाल सिंह बिष्ट, आम आदमी पार्टी की उमा सिसोदिया किसान सभा के सुरेंद्र सिंह सजवान, सरदार अमरजीत सिंह, मजदूर नेता शंकर गोपाल आदि ने हिस्सा लिया।

बैठक में मौजूद नेताओं ने कहा कि फरवरी, मार्च में अगर सरकार गैरसैंण में विधानसभा का सत्र आयोजित नहीं कर पा रही है तो फिर कब आयोजित करेगी? इसके बाद चार धाम यात्रा का बहाना बनाया जाएगा जिस तरीके से पिछले वर्षों से बहाने बनाए जा रहे है। कुल मिलाकर सरकार गैरसैंण में ना तो विधानसभा का सत्र चलाना चाहती है ना गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करना चाहती है। इसीलिए गैरसैंण की लगातार उपेक्षा की जा रही है।

इण्डिया गठबंधन और सिविल सोसाइटी के वक्ताओं ने कहा कि भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में जो वादे अपने घोषणा पत्र में किए थे उन पर भाजपा की सरकारों ने कोई काम नहीं किया। बेरोजगारों को रोजगार देना रोजगार देना तो दूर उल्टा बेरोजगारों की नोकरियों को बेचने और पुलिस की लाठी से पीटने का काम किया। बेटियों को सुरक्षा भी नहीं दे सके , पहाड़ से पलायन को भी नहीं रोक सके। पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विकास तो दूर मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है। सरकार के पास इच्छा शक्ति भी नहीं है केवल कोरी घोषणाओं और झूठ के सहारे जनता को बरगलाने का प्रयास हो रहा है।

वक्ताओं ने कहा कि भाजपा सरकार महिला विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं लेकिन राज्य में बेटियां सुरक्षित नहीं है आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता हो आशा वर्कर हो या स्वास्थ्य विभाग की अन्य बहने लगातार अपनी आवाज उठा रही है लेकिन हर आवाज को दबाने के लिए सरकार ने पूरा जोर लगाया है।

वक्ताओं ने कहा कि 27 तारीख को गैरसैंण में प्रतीकात्मक विधानसभा सत्र के आयोजन का मकसद सरकार को सीधा संदेश देना है कि पेपर लीक प्रकरण, और बेरोजगारों के रोजगार से कोई समझौता नहीं होगा, ना ही बेटी अंकित भंडारी प्रकरण में वीआईपी के नाम को दबाने दिया जाएगा ना ही बेटियों की सुरक्षा से कोई समझौता होगा पहाड़ के विकास पर भी विपक्ष सरकार को घेरने का काम करेगा और खनन माफिया और शराब माफिया के दबाव में सरकार जो काम कर रही है उस पर भी सरकार से सवाल, जवाब किए जाएंगे गैरसैण को राज्य की स्थाई राजधानी कब घोषित किया जाएगा और गैरसैंण की उपेक्षा कब बंद होगी यह जवाब भी सरकार से पूछा जाएगा।

आखिर उत्तराखंड का उपभोक्ता सबसे महंगी बिजली खरीदने के लिए क्यों मजबूर है इसका जवाब भी प्रतीकात्मक विधानसभा में सरकार से लिया जाएगा। उपनल कर्मचारियों, कोविड कर्मचारियों की मांगों और पुरानी पेंशन पर भी सरकार से सवाल पूछे जाएंगे।

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