ऋषिकेश। सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का भव्य समापन मंगलवार फ्युज़न होली के साथ हुआ। इस फ्युज़न होली महोत्सव में देश-विदेश से आए पर्यटकों एवं योग साधकों ने एक साथ लठमार और अवधि होली के मिश्रण से उत्पन्न नई शैली की होली मनाई। लोगों ने एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर एवं मिठाईयाँ खिलाकर होली की शुभकामनाएं दी। एक सप्ताह चले इस महोत्सव में देश विदेश के 1500 से अधिक पर्यटकों ने हिस्सा लिया।
मंगलवार योग महोत्सव के अंतिम दिन के कार्यक्रमों में पर्यटन विभाग के सहयोग योग स्कूलों में से एक हार्टफुलनेस संस्थान की छवि सिसोदिया ने रक्तचाप उपचार के लिए एक योग सत्र का आयोजन किया जिसमें उन्होंने योग साधकों को बल्ड प्रेशर नियंत्रण के लिए अनेक योग प्रणायामों के बारे में बताया व इनके करने की विधि समझाई। इस दौरान उन्होंने बताया कि बल्ड प्रेशर अनेक रोगों का कारक है।
उन्होंने बताया कि आज रोजमर्रा के जीवन में लोगों की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या हाई बल्ड प्रेशर है जो अनेक रोगों का जनक है, जिनमें हृदय, किडनी एवं आँख संबंधी रोगों के साथ मेटाबॉलिक सिन्ड्रोम, सांस लेने में कठिनाई, नींद की समस्या, थायरॉइड समस्या आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा अन्य दूसरे सत्र में छवि सिसोदिया के मार्गदर्शन में साधकों ने ध्यान योग किया। अन्य सहयोगी योग संस्थान में चेन्नई स्थित कृष्णामचार्य योग मंदिरम के योगाचार्य एस श्रीधरण ने भक्ति सत्र का आयोजन किया।
योग महोत्सव के समापन कार्यक्रम पर सुमित पंत निदेशक विपणन व प्रचार उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद ने कहा कि योग महोत्सव पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज के मार्गदर्शन व पर्यटन सचिव श्री सचिन कुर्वे की देखरेख में पूरा हुआ। उन्होंने इस योग महोत्सव में भाग लेने वाले सभी योगाचार्यों, साधकों, देश-विदेश से आये पर्यटकों व कार्यक्रम को सफल बनाने वाले आयोजकों, सुरक्षा कर्मियों और लगातार सातों दिन तक समाचार पत्रों में योग का प्रचार-प्रसार करने वाले पत्रकार बंधुओं का धन्यवाद किया।
निदेशक द्वारा योग महोत्सव में आये सभी योग विद्यालयों के गुरूओं को प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह भेंट स्वरूप दिये गये। योग महोत्सव में समापन कार्यक्रम का संचालन पर्यटन विभाग के जनसंपर्क अधिकारी कमल किशोर जोशी ने किया।
समापन कार्यक्रम में डॉ0 सुनील जोशी उप कुलपति आयुर्वेद विश्वविद्यालय, डॉ0 छवि सिसौदिया हार्टफुलनेस संस्थान, राजीव कालरा ईशा फाउंडेशन, वीपी सिंह कैवल्यधाम, अरूण पेरूमल कृष्णामचार्य योग मंदिरम, सुश्री एकता राममणि स्मृति योग संस्थान, नंदलला शिवानंद आश्रम, कुमार नारायण आर्ट ऑफ लिविंग, सुनील भगत नारायण स्वामी सहित देश-विदेश के पर्यटक मौजूद रहे।
अंतिम दिन के कार्यक्रमों में दैनिक आधार पर चल रहे सहयोगी योग संस्थानों द्वारा 2 घंटे का योग, हास्य योग विशेषज्ञ मनोज रंगढ़ द्वारा हास्य योग सत्र, आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा नाड़ी परीक्षण का आयोजन हुआ। इसके अतिरिक्त होली के उपलक्ष्य में शाम को इस्कॉन द्वारा राधा कृष्ण की मूर्ति का पुष्पाभिषेक किया गया जिसके बाद फूलों की होली खेली गई।
पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारंभ एक मार्च को मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी एवं पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज द्वारा किया गया। सात दिनों के इस महोत्सव में योगाभ्यास , भक्ति के अलावा विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन किए गये।
महोत्सव में आए पर्यटकों ने ईशा फाउंडेशन, शिवानंद आश्रम, आर्ट ऑफ लिविंग, कृष्णामचार्य योग मंदिरम, कैवल्यधाम, राममणि स्मृति योग संस्थान, हार्टफुलनेस संस्थान के योगाचार्यों व प्रशिक्षकों के सान्निध्य में विभिन्न प्रकार के योगाभ्यास व योगकलाएँ सीखी। साथ नाड़ी परीक्षण, ध्यान योग एवं भक्ति सत्रों से आरोग्य एवं भक्ति का लाभ कमाया। विदेशी योग साधकों में राज्य के परिधानों व स्वादिष्ट व्यंजनों एवं लोक कलाओं को लेकर खासी दिलचस्पी देखी गई। इसके अलावा विभिन्न विषयों पर पैनल परिचर्चाओं एवं रात्रि के सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने आगंतुकों को ज्ञान अर्जन के साथ मनोरंजन का भी सुख प्रदान किया।
योग महोत्सव के दौरान उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय द्वारा मर्म चिकित्सा, नाड़ी परीक्षण, चिकित्सीय परामर्श एवं निःशुल्क औषधि वितरण किया गया। विश्वविद्यालय के चिकित्सक डॉ विपिन चंद्र ने बताया कि 1 मार्च से 7 मार्च तक ओपीडी में 500 से अधिक लोगों ने अपना परीक्षण करवाया एवं चिकित्सीय परामर्श प्राप्त किया।
यह समारोह अपने आप में एक अनूठा समारोह था जिसमें एक आम समारोह की भाँति वरिष्ठ व्यक्तियों को तो स्मृति चिन्ह भेंट किए ही गये, परंतु समारोह में चार चाँद तब लगे जब सभी कार्यकर्ताओं – सिक्योरिटी गार्ड्स, सफ़ाई कर्मचारी, साज सज्जा से जुड़े व्यक्ति, साउंड आर्टिस्ट्स, कैमरा पर्संस, मज़दूर आदि को स्टेज पर बुलाकर उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए दर्शक दीर्घा से उनका तालियों की गड़गड़ाहट से सम्मान किया गया तथा पार्श्व में प्रसिद्ध गीत “जय हो” से उन्हें प्रोत्साहित किया गया।