नरेन्द्रनगर। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो तथा अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत में प्रतिवर्ष डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मृत्यु की वजह आत्महत्या होती है जो कि वैश्विक आत्महत्या का लगभग 20 प्रतिशत है। यह तथ्य मनोविज्ञान विभाग की प्रभारी डॉक्टर सपना कश्यप ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर वर्चुअल माध्यम से छात्रों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
डॉक्टर कश्यप ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा की बदलती जीवन शैली तथा आर्थिक, पद, प्रतिष्ठा की लालसा एवं इसे प्राप्त न करने के कारण अवसाद की स्थितियां आत्महत्या के प्रमुख कारण है। इन्हीं कारणों के मद्देनजर श् इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशनश् एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समाजों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 10 सितंबर को वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे मनाए जाने का निर्णय लिया है।
कॉलेज प्राचार्य प्रोफेसर आर के उभान ने अवसाद की स्थितियों का मुकाबला करने के लिए योग-ध्यान एवं मानसिक विशेषज्ञों की सलाह से आत्महत्याओं की रोकथाम का मार्ग सुझाया।
इस अवसर पर मनोविज्ञान के प्राध्यापक डॉ राकेश कुमार नौटियाल ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि आपके द्वारा जागरूकता कार्यक्रम को आयोजित किए जाने से जहां आगामी जीवन में स्वयं आपको चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी वहीं आप IASP के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक सिद्ध होंगे।
विभाग की रंजना जोशी ने स्वस्थ मानसिकता के लिए स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ शरीर के लिए पौष्टिक आहार को अनिवार्य बताया।
इस अवसर पर विभाग के छात्रों द्वारा पोस्टर निर्मित कर आत्महत्या रोकथाम के लिए आकर्षक आकृतियां एवं स्लोगन का निर्माण कर अपनी सृजनशीलता का परिचय दिया।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम “क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन” है इसी तथ्य को मद्देनजर रखते हुए विभाग के छात्रों ने हाथों में दीपक जलाकर रात्रि के तमस को दीपक की रोशनी से भेदने की आशा दिखाकर आत्महत्या से लड़ने का संदेश दिया।
इस अवसर पर कॉलेज के अन्य प्राध्यापकों ने भी वर्चुअल माध्यम से जुड़कर कार्यक्रम में सहभागिता दर्ज की इस आशय की जानकारी कॉलेज मीडिया प्रभारी डॉक्टर विक्रम सिंह बर्त्वाल ने दी है।